इस दौड़ती भागती हुयी दुनिया में हमने बहुत कुछ पीछे छोड़ दिया है, हमने धीरे धीरे अपनी सुविधा के लिए अपनी पौराणिक परम्परा तथा पौराणिक जन उपयोगी साधनों को कहीं पीछे धकेल दिया है। तकनीकी के इस युग में हमने अपनी लोक सांस्कृतिक और अपनी विरासतो को भी पीछे की ओर धकेलने में भरपूर सहयोग दिया है हमारे पूर्वज जिन पौराणिक परंपरागत साधन का प्रयोग अपने जीवन यापन के लिए किया करते थे हमने धीरे-धीरे उन साधनों का ही अस्तित्व ही ना के बराबर कर लिया है। अब कुछ ही ऐसे पौराणिक साधन है जो थोड़ा बहुत यानी नामात्र में ही उपयोग होते है इन्हीं परंपरागत साधनों में कभी घराट (घट ), पनचक्की (Watermill ) हुआ करता था जो आज बस गिने चुनें ही बचें है।
घराट ' घट ' Watermill |
कैसे होता है घराट या घट (पनचक्की ) watermill :-
किसी ज़माने में हर एक गाँव के पास 3,4 घट या घराट हुआ करते थे जो पहाडों में बहती छोटी सी कल कल करती नदी जिसे गाड़ या गधेरे कहते हैं के किनारे हुआ करते थे। यहाँ कभी लोगों का जमावड़ा हुआ करता था लेकिन आज यहाँ कोई जाता तक नहीं है। आज घट या घराट का स्थान आधुनिक मशीनो ( बिजली से चलने वाली चक्की या डीजल से चलने वाली चक्की )ने ले लिया है कभी पहाड़ी लोगों की आजीविका का यह प्रमुख साधन हुआ करता था । आजीविका तो क्या ही कहें बल्कि उनके घराट पर जो पिसा जाता था उसका कुछ भाग घराट वालों को देना होता था ।आज से दो दशक या उससे भी पहले जब गाँव बिजली की पहुँच से दूर हुआ करते थे तब गाँव के लोगों के पास इन घराटों से सस्ता ओर उत्तम साधन कोई दूसरा ना था जिससे वह जो, गेहूँ, मक्का, बाजरा, मसाले इत्यादि की पिसाई कर सके।
इन घराटों का एक मुख्य लाभ यह भी हुआ करता था कि लोगों का आपसी मेल-मिलाप बना रहता था ओर अगर बात करें इसकी एक ओर विशेषता की तो वह इसकी पिसाई की गति जो कि काफ़ी धीमी थी मगर यह महीनों तक बिना रुके ही चलता था जिस वजह से एक आदमी का इसके पास होना अनिवार्य हो जाता था। एक ओर जहाँ बिजली, डीजल से चलने वाली चक्कियां हैं वहीं दूसरी ओर ये घराट जो कि आज हैं ही नहीं या हैं भी तो बिलकुल ना के बराबर हैं।
आधुनिक चक्कियां ओर घराटों में अंतर
• आधुनिक चक्कियां जहां बिजली ओर डीजल से चलती हैं वहीं ये घराट पानी की गति से चलते थे।
• ये चक्कियां डीजल से चलती हैं जिस वजह से पर्यावरण प्रदूषण बढ़ता जा रहा है ओर दूसरी ओर ये घराट जिनसे पर्यावरण प्रदुषण ना के बराबर या बिलकुल होता ही नहीं था ।
• आज की आधुनिक चक्कियों पर बहुत से खर्चे हैं या यूँ कहें कि इनकी देख-रेख में काफ़ी मेहनत है ओर यह आज लोगों की आजीविका का एक प्रमुख साधन है वहीं अगर घराट की बात करें तो यह बस आपसी मेल-मिलाप का एक जरिया था जिससे लोगों में अपनापन बना रहता था ।
• आज की आधुनिक चक्कियों में पिसाई में समय की बहुत बचत होती है तो दूसरी ओर घराटों पर पिसाई में काफ़ी वक़्त लग जाया करता था।
घराट कि बनावट -
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