फ्योली का फूल Fyoli flower - Reinwardtia indica
Fyoli flower : Reinwardtia indica
Fyoli flower : Fyoli Phool :-
उत्तराखंड एक पर्वतीय राज्य है जंहा अनेक प्रकार की प्राकृतिक वनस्पतियों का निवास स्थान है। यंहा की सुन्दरता यंहा के पहाड़ो , झरनों ,ग्लेशियरों ,तालों और यंहा की जंगली वनस्पतियों से ही है, यंहा अनेक प्रकार के पेड़-पौधे ,जीवजन्तु ,फल और फूल पाए जाते हैं जो यंहा की सुन्दरता में चार चाँद लगा देते हैं। उन्ही में से एक फूल है फ्योली जिसके खिलने से उत्तराखंड में बसंत का आगमन हो जाता है, इस फूल को बसंत आगमन का प्रतीक भी माना जाता है। वेसे तो बसंत मौसम में विभिन प्रकार के फूल खिलते हैं, पर उन फूलो में फ्योली का फूल मानो ऐसे लगता है जैसे अंगूठी के उपर हीरा जड़ा हो। इसी के आगमन पर उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं दोनो मण्डलो में 'फूलदेई त्यौहार' बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है।
Fyoli flower |
फूलदेई त्यौहार में विशेष रूप से बच्चे भाग लेते हैं, इसी कारण इसे बच्चों का त्यौहार भी कहा जाता है। इसमें छोटे -छोटे बच्चे लोगों के घर जाते हैं और उनके दरवाजे (डेलि ) पर Fyoli का फूल डालते (रखते )है, और उस घर के लोग बच्चों को कुछ ना कुछ देते है।
फ्योली के फूल का रंग पीला होता है जिसमे किसी भी प्रकार कि कोई खुशबू नहीं होती है ये खुशबु विहीन होता है,जो की सौन्दर्य और सकारात्मक का प्रतीक माना जाता है। उत्तराखंड के लोकगीतों में आपको कहीं बार फ्यूली की चर्चा मिलेगी और साथ ही फ्योली से नाम के गाने भी सुनने को मिलेंगे उन्ही में से एक गीत है जो हर एक उत्तराखंडी की जुबान पर आपको सुनने को मिलेगा वो गीत है ' फ्योली ज्वान हुवेगी ' फ्योली का जो फूल है, उसकी तुलना नारी की सुन्दरता और उसके कोमल यौवन के साथ की जाती है। साथ ही उत्तराखंड के लोगो द्वारा 'फ्योली' नाम अपने बच्चो का भी रखा जाता है क्योंकि फ्योली नाम इतना कोमल और पवित्र होता है।
फ्योली फूल का वैज्ञानिक नाम- Fyoli flower scientific name
फ्योली फूल का वैज्ञानिक नाम Reinwardtia indica है,इस फूल का वैज्ञानिक नाम हालैंड के सुप्रसिद्ध वनस्पति वैज्ञानिक के ज्ञाता कैस्पर जॉर्ज कार्ल रीवार्ड्ट के नाम पर पड़ा है। इस फूल को Yellow flax flower भी कहा जाता है जो yellow flax flower family से जुड़ा हुआ है यह फूल हिमालय की गोद में बसा हुआ है जो की 1800 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है।
Reinwardtia indica |
फ्योली फूल की कहानी :-
फ्योली को लेकर कहीं किवदंतियां है उन्ही में से एक यह है।एक जंगल में एक सुंदर घर था और उस सुंदर घर में फ्योली नाम की एक लड़की रहती थी , जो दिखने में काफी सुंदर और गुणवान थी। वो लड़की बचपन से ही उसी जंगल में रहती थी और वंहा के जानवरों और पेड़-पौधों के साथ ही बड़ी हुई थी साधारण भाषा में कहें तो वही उसका परिवार था वो उनके साथ बहुत खुश रहती और उन्ही से साथ खाती सभी आपस में बहुत प्यार करते थे। एक दिन उस जंगल में एक सुंदर राजकुमार शिकार करने आया और शिकार करते-करते अकेले उस जंगल में बहुत आगे चला जाता है , राजकुमार को बहुत प्यास लगी होती है वो पानी की खोज में इघर-उधर भटक रहा था तभी उसको वंहा सुन्दर घर दिखाई देता है ,वो वंहा पानी मांगने जाता है। जैसे ही अंदर जाता है वंहा फ्योली बैठी थी फ्योली को देखकर वो उसकी सुन्दरता में खो जाता है।राजकुमार उसको शादी करने का न्योता देता है फ्योली उसका कहा टाल न सकी। कुछ दिनों बाद फ्योली की शादी हो गयी दोनो राजमहल में चले गये पर फ्योली का वंहा मन ना लगता था ,भले ही महल में सारी सुविधाये थी औए सुंदर बागीचा भी था,पर फ्योली खुले वातावरण में रहने की आदि थी। धीरे-धीरे उसकी तबियत ख़राब होने लगी और वो हमेसा बीमार रहने लगी ,उसके इलाज के लिए कहीं वैद्य बुलाये गये पर कोई भी उसकी बीमारी ना पकड़ सका और धीरे-धीरे अपनी बचपन की यादें और उन जानवरों और पेड़-पौधो की याद में वह एक दिन चल बसी। फ्योली की अंतिम इच्छा थी कि उसे उनके दोस्तों के बीच में ही रहने दिया जाये तो राजकुमार ने उसको वन्ही जंगल में उसको दफना दिया जन्हा उन दोनों की पहली बार मुलाकात हुई थी। उसको दफ़नाने के बाद राजकुमार वंहा हमेसा जाता और खूब रोता दिन बीतते गये और कुछ दिनों बाद उस स्थान पर एक सुंदर पीला फूल उगा और उस राजकुमार ने उस फूल को अपनी रानी का नाम 'फ्योली' दिया,एसे ही और कहीं किवदंतिया फ्योली से जुडी हुई हैं।फ्योली फूल के फायदे :- Fyoli flower benifits
वेसे तो फ्योली को उत्तराखंड में बंसत का आगमन माना जाता है,पर फ्योली कहीं गुणों से भी भरपूर होती है , इसका इस्तेमाल आयुर्वेदिक ओषधियों के रूप में भी किया जाता है। फ्योली को गढ़वाल और कुमाऊ के लोकगीतों में बहुत महत्व दिया जाता है और यह फूल प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है। फ्योली के साथ बसंत के मौसम में बुरांश का भी फूल खिलता है ,ये दोनो फूल उत्तराखंड की हसीन वादियों को और भी निखार देती हैं।बुरांश |
इससे पहले हमने आपको काफल और हिसालू के बारे में बताया था अगर आपने उसको नही पढ़ा तो आप निचे लिंक पर क्लिक कर के उनको पढ़ सकते हैं |
बहुत सुंदर बड़े भाई साहब
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