प्रयाग किसे कहते है : what is prayag :-
जिस स्थान पर दो या दो से अधिक नदियों का संगम होता है उसे प्रयाग कहा जाता है। उत्तराखंड मे वैसे तो कहीं प्रयाग हैं पर यहाँ के पाँच प्रयाग Panch Prayag बहुत चर्चित हैं।पंच प्रयाग : Panch Prayag :-
उत्तराखंड की इस पावन धरती से कहीं नदियों का उद्गम होता है, जीवन दायनी माँ गंगा का उद्धगम स्थान भी उत्तराखंड ही है जो करोड़ो लोगों की जीवन रेखा है। पवित्र नंदियों के संगम पर स्थित प्रयागों का पौराणिक और धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है। उत्तराखंड के पंच प्रयाग गढ़वाल मण्डल के तीन जिलों मे स्थित है चमोली, रुद्रप्रयाग और टिहरी मे।
पंच प्रयाग में कौन - कौन से प्रयाग आते हैं?
2- नंदप्रयाग Nandaprayag
3- कर्णप्रयाग Karnaprayag
4- रुद्रप्रयाग Rudraprayag
5- देवप्रयाग Devprayag
पंच प्रयाग की नंदियाँ और संगम स्थल :-
1 - विष्णुप्रयाग Vishnuprayag:-
विष्णुप्रयाग चमोली जिले के जोशीमठ के पास बद्रीनाथ मार्ग पर स्थित है जँहा पर अलकनन्दा और प. धौलीगंगा का संगम होता है। विष्णुप्रयाग के दोनो ओर जय और विजय नामक दो पर्वत विराजमान हैं। विष्णुप्रयाग 1372 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है यहाँ पर भगवान विष्णु का एक मन्दिर भी स्थित है।2 - नंदप्रयाग Nandaprayag :-
नंदप्रयाग समुद्रतल से 914 मीटर की ऊंचाई स्थित है जो कर्णप्रयाग से 22 किलोमीटर की दूरी पर है और नंदप्रयाग मे अलकनन्दा और नन्दाकिनी नंदियों का संगम होता है और यहाँ पर भी विष्णु (गोपाल ) मन्दिर है। इस प्रयाग के बारे मे कहा जाता है की इस प्रयाग का नाम राजा नन्द के नाम पर रखा गया है।3 - कर्णप्रयाग Karnaprayag :-
कर्णप्रयाग चमोली जिले का एक महत्वपूर्ण नगर है जँहा पर अलकनन्दा और पिण्डर नदियों का संगम होता है यह स्थान कर्ण की तपस्थली के रूप में जाना जाता है। कहा जाता है की इसी स्थान पर भगवान सूर्य ने कर्ण को कवच, कुण्डल व तूणीर दिए थे। कर्ण मन्दिर के अलावा यहाँ पर और भी अन्य मन्दिर स्थित है।4 - रुद्रप्रयाग Rudraprayag :-
रुद्रप्रयाग उत्तराखंड राज्य का एक जिला और केदारनाथ धाम और बद्रीनाथ धाम का मुख्य पड़ाव भी है। यहाँ पर अलकनन्दा और मन्दाकिनी नंदियों का संगम होता है। इन दोनो नदियों के संगम पर ही भगवान रुद्रनाथ का एक प्राचीन मन्दिर भी स्थित है।5 - देवप्रयाग Devprayag :-
देवप्रयाग वह स्थान है जिसे पुराणों में समस्त तीर्थो का शिरोमणि कहा जाता है यहाँ पर भागीरथी और अलकनन्दा नंदियों का संगम होता है और इन्हीं दो नदियों के संगम से ही गंगा नदी बनती है जो विश्व की सबसे पवित्र नदी है। इन दोनो नदियों के संगम पर रधुनाथ जी का मन्दिर स्थित है। कहा जाता है की भगवान राम ने रावण वध के बाद इस स्थान की यात्रा की थी।पंच प्रयाग से सम्बंधित नंदियों के उद्धगम स्थल:-
अलकनन्दा नदी का उदगम कहाँ से होता है?अलकनन्दा नदी का उदगम चमोली जिले में स्थित सतोपंथ शिखर के अलकापूरी बांक हिमनद और सतोपंथ ताल से होता है।
पश्चिमी धौलीगंगा नदी का उदगम कहाँ से होता है?
पश्चिमी धौलीगंगा का उदगम चमोली जिले में स्थित धौलागिरी की कुनगुल श्रेणी से होता है।
नन्दाकिनी नदी का उदगम कहाँ से होता है?
नन्दाकिनी नदी का उदगम चमोली जिले में स्थित त्रिशूल पर्वत के पास नन्दा घूंघटी से होता है।
पिण्डर नदी का उदगम कहाँ से होता है?
पिण्डर या कर्णगंगा नदी का उदगम बागेश्वर जिले में स्थित पिण्डरी ग्लेशियर से होता है।
मन्दाकिनी नदी का उदगम कहाँ से होता है?
मन्दाकिनी नदी का उदगम रुद्रप्रयाग जिले में स्थित मंदराचल श्रेणी से होता है जो की केदारनाथ के समीप स्थित है।
भागीरथी नदी का उदगम कहाँ से होता है?
भागीरथी नदी का उदगम उत्तरकाशी जिले में स्थित गंगोत्री हिमनद के गोमुख नामक स्थान से होता है।
पंच प्रयाग से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्नोतर:-
उत्तर - विष्णुप्रयाग, नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग, देवप्रयाग
2- कर्णप्रयाग में कौन कौन सी नदी मिलती है?
उत्तर - अलकनन्दा और पिण्डर नदी
3- विष्णुप्रयाग में कौन कौन सी नदियों का संगम है?
उतर - अलकनन्दा और प. धौलीगंगा नदी
4 - जब दो नदियां मिलती हैं तो उसे क्या कहते हैं?
उतर - संगम या प्रयाग
5- गंगा कौन सी दो नदियां बनाती है?
उतर- भागीरथी और अलकनन्दा नदी
6- सास और बहु नाम से प्रसिद नदियां हैं ?
उतर- सास ( भागीरथी ) बहु ( अलकनंदा )
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