12 जून 2023

जानिए केदारनाथ की पूरी जानकारी : history of kedarnath temple


 केदारनाथ एक परिचय : Kedarnath temple 

केदारनाथ (Kedarnath ) मन्दाकिनी नदी के शीर्ष पर बसा हुआ भगवान शिव का  एक अद्वितीय मन्दिर है, जो उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले से 86 किलो मीटर कि दूरी पर स्थित है। केदारनाथ मन्दिर का शिवलिंग द्वादश ज्योतिर्लिंगों मैं से एक है, जँहा साक्षात भगवान शिव का निवास स्थान है, इस मंदिर की महता के कारण ही गढ़वाल का प्राचीन नाम केदारखंड पड़ा था। यह एक best tourist place भी है जन्हा हर साल लाखो की संख्या में भीड़ उमड़ती है|

                              
केदारनाथ (Kedarnath )मन्दिर हिन्दू धर्म के चार धामों मैं एक धाम और पंच केदारों मैं प्रथम केदार है। यह मंदिर खर्चाखंड,भरतखंड और केदारनाथ शिखरों में मध्य में स्थित है, इस मंदिर के वाम भाग में पुरन्दर पर्वत है।

चारधाम :

  1. केदारनाथ ( रुद्रप्रयाग )
  2. बद्रीनाथ   (चमोली )
  3. गंगोत्री   (उत्तरकाशी )
  4. यमुनोत्री  ( उत्तरकाशी )
  • समुद्रतल से केदारनाथ मन्दिर कि ऊंचाई 3585 मीटर है।
  • यह प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ स्थल है।

केदारनाथ मन्दिर का इतिहास : history of kedarnath temple

 पौराणिक कथाओं के अनुसार हिमालय के भृंग तुंग  (केदार श्रृंग )पर साक्षात भगवान विष्णु के अवतार नर और नारायण ऋषि  तपस्या करते थे। उनकी इस  कठोर आराधना को देखकर भगवान भोलेनाथ प्रकट हुए और उनके प्रार्थनानुसार ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा वहां वास करने के लिए वरदान प्रदान किया तब से पर्वतराज हिमालय की गोद में केदारनाथ बसा हुआ है।

राहुल सांकृत्यायन इस मंदिर का निर्माण काल 10-12 शती बताते हैं। वही इतिहासकार शिव प्रसाद डबराल ( चारण ) यह मानते हैं कि शैव लोग यहां आते जाते रहे होंगे पहले से मौजूद था।

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Kedarnath Temple
                    
यह भी माना जाता है कि कुरुक्षेत्र के युद्ध के बाद पांडव अपने परिचितों एवं सगे संबंधियों को मारने के बाद खुद को दोषी महसूस कर रहे थे। और उन्हें अपने पापों के प्रायश्चित के लिए भगवान शिव के आशीर्वाद की आवश्यकता थी, वही भगवान शिव उनको मिलना नहीं चाहते थे अतः वह पांडवों से निरंतर दूर भागते रहे वही पांडव भी निरंतर उनके पीछे लगे रहे। भागते भागते उन्होंने स्वयं को केदारनाथ में एक बैल के रूप में परिवर्तित कर लिया। वही पांडव भी उनका निरंतर पीछा करते-करते केदारनाथ आ पहुंचे। तब तक भगवान शिव सतह पर कुंवड़ वाला पिछला भाग छोड़कर शेष भाग पृथ्वी मैं समा गए। कहा जाता है कि भगवान शिव के शेष चार भाग विभिन्न स्थानों पर प्राप्त हुए। इनमें तुंगनाथ में भुजाएं, रुद्रनाथ में मुँह, मदमहेश्वर में नाभि और कल्पेश्वर में केश। आज इन्हीं पंच स्थानों को पंच केदार कहा जाता है।

केदारनाथ का निर्माण: Kedarnath temple:-

 इस मंदिर का निर्माण कत्यूरी शैली में हुआ है, इसके निर्माण में भूरे रंग के विशाल पत्थरों का प्रयोग किया गया है।

 यह मंदिर छत्र प्रासाद युक्त है, इसके गर्भगृह में त्रिकोण आकृति की एक बहुत बड़े ग्रेनाइट की एक शिला है, ग्रेनाइट के इस लिंग के चारों ओर अर्धा है, जो अति विशाल है और एक ही पत्थर से बना हुआ है। और कहां जाता है कि इसी स्वयंभू केदारलिंग की उपासना पांडवों ने भी की थी।

 केदारनाथ मन्दिर के ज्योतिर्लिंग के दर्शन का समय :-

🚩 यह मंदिर दर्शन के लिए प्राप्त 6:00 बजे खुलता है।

🚩 उसके बाद दोपहर में 3:00 से 5:00 तक भगवान शिव कि एक मनोहर पूजा होती है और इसके बाद मंदिर के किवाड़ बंद कर दिया जाता है।

🚩 और उसके बाद पुनः 5:00 बजे फिर मंदिर को दर्शन के लिए खोला जाता है।

🚩 उसके बाद भगवान शिव की प्रतिमा का श्रृंगार करके 7:30 से 8:30 तक नियमित आरती की जाती है।

🚩 और फिर रात्रि 8:30 बजे मंदिर बंद किया जाता है।

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Kedarnath Temple

 भगवान केदारनाथ के कपाट कब खुलते हैं :-

 केदारनाथ धाम के कपाट वैशाख के महीने ( अप्रैल) मैं खोले जाते हैं औए नवंबर माह में मन्दिर के कपाट बंद किए जाते हैं।

 शीतकाल में केदार घाटी पूरे बर्फ से ढक जाती है और चारों ओर बर्फ की चादर बिछ जाती है जिसके कारण यहां आना नामुमकिन हो जाता है और इसके कारण मंदिर के कपाट 6 महीने के लिए बंद कर दिए जाते हैं।

Kedarnath best tourist place
Kedarnath temple
                          
शीतकाल में भगवान केदारनाथ का मन्दिर बर्फ में डूब जाता है to इसकी की पूजा ओंकारेश्वर मंदिर ( उखीमठ ) में की जाती है।

 हेलीकाप्टर से केदारनाथ यात्रा Kedarnath yatra by Holicopter 2023-

आप केदारनाथ धाम के लिए  हेली सेवाएं आईआरटीसी की वेबसाइट  heliyatra.irctc.co.in के माध्यम से बुक  कर सकते है।

 इसके अलावा तीर्थ यात्रियों को केदारनाथ धाम की यात्रा पर जाने के लिए उत्तराखंड विकास बोर्ड की वेबसाइट पर पंजीकरण करवाना आवश्यक है।

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history of kedarnath temple
गुरु शंकराचार्य 
                           
केदारनाथ  Kedarnath temple में आदि गुरु शंकराचार्य की मूर्ति भी स्थापित की गयी है , इस मूर्ति का अनावरण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था। आदि गुरु शंकराचार्य ने 820 ईस्वी में केदारनाथ में अपने प्राण त्याग थे।

 माया नगरी हरिद्वार से  केदारनाथ दूरी : haridwar to kedarnath distance -

हरिद्वार से केदारनाथ तक कि दूरी लगभग लगभग 239 किलोमीटर है।

 ऋषिकेश से केदारनाथ दूरी : Rishikesh to Kedarnath Distance -

 ऋषिकेश से केदारनाथ तक की दूरी लगभग 227 किलोमीटर है।




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