13 जून 2023

best tourist place : Badrinath Temple Chamoli


Badrinath Temple Chamoli : बद्रीनाथ मन्दिर:-

बद्रीनाथ चार धामों में एक धाम है जो चमोली जिले में अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है। जो हिंदू धर्म का एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल और best tourist place है, समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 3133 मीटर है। Badrinath को महाभारत तथा पुराणों में मुक्ति प्रदा, योगसिद्धा,बद्रीवन, बद्रीकाश्रम, विशाला,नर नारायण आश्रम आदि नामों से जाना जाता है, यह मंदिर अपने धार्मिक और पौराणिक महत्व के लिए जाना जाता है। यहां साक्षात विष्णु भगवान निवास करते हैं बद्रीनाथ मंदिर नर (अर्जुन) एवं नारायण (विष्णु) नामक दो पर्वत श्रेणी के तल में बसा हुआ एक सुंदर धार्मिक स्थान और tourist place है।

badrinath temple
Badrinath Temple

Badrinath Temple history in hindi:बद्रीनाथ मन्दिर का इतिहास-

कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण संभवत: पंवार वंश के वास्तविक संस्थापक और गढ़वाल कहे जाने वाले गढ़वाल के 37 वें राजा अजय पाल के शासनकाल में हुआ। लेकिन पूर्ण भव्य मंदिर बनाने का श्रेय कत्यूरी राजवंश को है, यह वही कत्युरी राजवंश है जिसे उत्तराखंड का स्वर्ण काल कहा जाता है। बद्रीनाथ परिषद में भगवान विष्णु कि मूर्ति है, जो थोड़ा बहुत खंडित भी है जो कि काले रंग कि है इस मूर्ति को  आदि गुरु शंकराचार्य ने नारद कुंड से निकाला था,और उसके बाद उन्होंने ही इस मूर्ति को बद्रीनाथ मंदिर के प्रांगण में स्थापित किया था। इसके खंडित होने का मूल कारण इसका नारद कुंड मे पडे रहना माना जाता है।

बद्रीनाथ मंदिर की संरचना-

बद्रीनाथ मंदिर तीन भागों में बंटा हुआ है - पहला भाग सिंहद्वार, दूसरा भाग मंडल और तीसरा भाग गर्भगृह। बद्रीनाथ मंदिर शंकुधारी शैली में बना है ( कहीं-कहीं पर मुगल शैली भी देखने को मिलेगा ) बद्रीनाथ धाम के जो पुजारी होते हैं दक्षिण भारत के मालाबार क्षेत्र के होते हैं जो शंकराचार्य के वंशजों से होते हैं जिन्हें रावल कहा जाता है, यही रावल लोग विशाल बद्री में पूजा-पाठ का पूरा कार्य संपन्न करते हैं, और यही रावल लोग यहां के मुख्य पुजारी भी होते हैं।

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Badrinath Temple opening and closing time-

 विशाल बद्री कहे जाने वाले बद्रीनाथ के प्रांगण में हर साल लाखों लोग भगवान बद्रीनाथ के दर्शन करने आते हैं, बद्रीनाथ का यह प्रांगण  धार्मिक आस्था का एक केंद्र है, जहां प्रतिवर्ष लाखों लोग भगवान बद्रीनाथ के दर्शन करने आते हैं। शीतकाल में  यहां बहुत अधिक मात्रा में बस गिरती है जिसके कारण यह मंदिर 6 महीने अपने भक्तजनों के लिए बंद रहता है यह मंदिर प्रति वर्ष अप्रैल- मई के महीने में खुलता है और नवंबर माह में दीपावली के समय बंद हो जाता है। 6 महीने बंद होने का कारण है यहां बर्फ की सफेद चादर बिछ जाना।

➥Haridwar to Badrinath distance- 314 km

➥Rishikesh to Badrinath distance - 289 km

➥joshimath to Badrinath distance - 51 km

➥Badrinath to Kedarnath distance- 40 km

Badrinath Kedarnath registration click here




बद्रीनाथ के समीप कुछ दर्शनीय स्थल -

 अगर आप बद्रीनाथ जाते हैं तो बद्रीनाथ के अगल-बगल ऐसे कई स्थान हैं जहां आप विजिट कर सकते हैं और अपने सफर का आनंद ले सकते हैं।

Badrinath के समीप पांच प्रसिद्ध कुंड -

1- तप्त कुंड

2- नारद कुंड

3- सत्यपथ कुंड

4- त्रिकोण कुंड

5- मानुषी कुंड



Badrinath के समीप पंच शिलाए -

1- गरुड़ शिला

2- नारद शिला

3- मार्कंडेय शिला

4- नृसिंह शिला

5- वाराहा शिला

Badrinath के समीप पंच धाराएं-

1- कुर्म धारा

2- प्रह्लाद धारा

3- इंदु धारा

4- उर्वशी धारा

5- भृगु धारा

 बद्रीनाथ में स्कंध गुफा, गरुड़ शिला गुफा, राम गुफा और ऐसे कहीं स्थल है, जहां आप अपने मन को शांति दे सकते हैं। बद्रीनाथ के समीप ही ब्रह्म कपाली है जहां पितरों का पिंड अर्पण किया जाता है। कहा जाता है कि यहां पितरों का पिंड अर्पण करने से पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

Badrinath to Mana distance-

बद्रीनाथ से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर माणा गांव स्थित है जिसे हाल ही में भारत के प्रथम गांव के रूप में संज्ञा दी गई है। प्राचीन समय में माणा से ही भारत चीन के बीच व्यापार होता था, पर 1962 के भारत - चीन युद्ध के बाद व्यापार बंद हो गया माणा के समीप भी tourist place है।जो निम्नलिखित हैं-

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1- भीम शिला

2-मुचकुंद गुफा

3- गणेश गुफा

4- व्यास गुफा


व्यास गुफा के बारे में कहा जाता है कि, महर्षि वेदव्यास जी ने व्यास गुफा में बैठकर भागवत कथा को मौखिक तौर पर कहा था और गणेश गुफा में लिखने का कार्य गणेश जी ने किया था।

माणा से थोड़ी ही दूरी पर सतोपंथ शिखर, सतोपंथ जलधारा भी है, जहां से अलकनंदा नदी का उद्गम होता है। यह जलधारा 145 मीटर की ऊंचाई से गिरती है, इस जलधारा के बारे में एक मान्यता यह है कि इस जलधारा का जल पापियों पर नहीं गिरता है। माणा के समीप से ही सरस्वती नदी का भी उद्गम भी होता है। जो केशव प्रयाग में अलकनंदा में समाहित हो जाती है।

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इन्हें भी देखें -

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