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Ahilyabai Holkar History


Ahilyabai Holkar 

अहिल्याबाई होल्कर का जन्म महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के जामखेड के चौण्डी नामक गाँव मैं 31 मई 1725 को हुआ था। इनके पिता का नाम माणकोजी शिंदे था जो इस क्षेत्र के पाटील थे। दस -बारह वर्ष की आयु मैं इनका विवाह प्रसिद्ध सूबेदार मल्हारराव होल्कर के पुत्र खण्डेराव के साथ हुआ था। महारानी अहिल्याबाई होल्कर भारत के मालवा साम्राज्य की मराठा होल्कर की महारानी थी।
Ahilyabai Holkar  किसी बड़े राज्य की रानी नहीं थी. उनका कार्यक्षेत्र अपेक्षाकृत सीमित था. फिर भी इन्होंने जो कुछ किया उससे आश्चर्य होता है।
 अहिल्याबाई ने अपने राज्य के सीमाओं के बाहर तथा भारत के कहीं तीर्थों, मंदिरों, घाटों तथा बावरियों का निर्माण करवाया। इन्होंने कहीं सुधार करवाएं जिनमे मार्गों का सुधारीकरण किया, प्यासों के लिए कुंओं का निर्माण किया।
मन्दिरों में विद्वानों की नियुक्ति शास्त्रों के मनन-चिन्तन और प्रवचन हेतु की। और, आत्म-प्रतिष्ठा के झूठे मोह का त्याग करके सदा न्याय करने का प्रयत्न करती रहीं-मरते दम तक। ये उसी परम्परा में थीं जिसमें उनके समकालीन पूना के न्यायाधीश रामशास्त्री थे और उनके पीछे झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई हुई। इतने छोटे से जीवनकाल में ही जनता इनको ‘देवी’ समझने  लगी थी। इतका इतना बड़ा व्यक्तित्व था जो जनता ने अपनी आँखों से देखा ही कहाँ था। जब राज्य के चारों ओर गड़बड़ मची हुई थी। शासन और व्यवस्था के नाम पर  राज्य के अंदर घोर अत्याचार हो रहे थे। प्रजाजन,साधारण गृहस्थ, किसान मजदूर-अत्यन्त हीन अवस्था से गुजर रहे थे। तब उनका एकमात्र सहारा-धर्म-अन्धविश्वासों, भयत्रासों और रूढि़यों की जकड़ में कसा जा रहा था। उस समय न्याय में न शक्ति रही थी, न विश्वास। ऐसी  विकट परिस्थितियों में अहिल्याबाई ने जो कुछ किया वह मानो अकल्पनीय था।

कौन थी Ahilyabai Holkar जिनके नाम पर रखा गया अहमदनगर का नाम?


  हाल ही में अहमदनगर का नाम बदलकर अब ‘अहिल्या नगर' कर दिया गया है. ये महारानी Ahilyabai Holkar के नाम पर रखा गया है.
राजमाता Ahilyabai Holkar मालवा साम्राज्य, की होल्कर रानी थीं। राजमाता अहिल्याबाई होल्कर अपनी राजधानी नर्मदा नदी पर स्थित  इंदौर के दक्षिण में महेश्वर ले गई
1754 में कुंभेर की लड़ाई में अहिल्याबाई के पति खंडेराव होल्कर वीरगति को प्राप्त हो गए थे। 12 सालों के बाद, उनके ससुर मल्हार राव होल्कर की भी मृत्यु हो गई। उसके एक साल बाद उन्हें मालवा साम्राज्य की महारानी  के रूप में ताज पहनाया गया। महारानी अहिल्याबाई ने आक्रमणकारियों से बचने के लिए अपने राज्य की रक्षा करने की कोशिश की। जिसके लिए उन्होंने खुद व्यक्तिगत रूप से युद्ध में सेना का नेतृत्व किया। और तुकोजीराव होल्कर को सेना प्रमुख नियुक्त कर दिया।

राजमाता Ahilyabai अहिल्याबाई एक महान अग्रणी और हिंदू मंदिरों की निर्माता थीं। उसने पूरे भारत में सैकड़ों मंदिरों, घाटों, बावड़ियों और धर्मशालाओं का निर्माण किया।

इतिहास के मंच पर रानी अहिल्याबाई का प्रवेश एक दुर्घटना जैसा था: 

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